Shodashi No Further a Mystery

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Inspiration and Empowerment: She's a symbol of power and braveness for devotees, specifically in the context from the divine feminine.

This classification highlights her benevolent and nurturing facets, contrasting Along with the fierce and moderate-intense natured goddesses within the team.

Though the precise intention or importance of this variation may possibly differ determined by personalized or cultural interpretations, it might normally be understood as an prolonged invocation on the put together Vitality of Lalita Tripurasundari.

वन्दे तामहमक्षय्यां क्षकाराक्षररूपिणीम् ।

सा नित्यं मामकीने हृदयसरसिजे वासमङ्गीकरोतु ॥१४॥

प्रणमामि महादेवीं परमानन्दरूपिणीम् ॥८॥

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो click here चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

Shodashi Goddess is without doubt one of the dasa Mahavidyas – the ten goddesses of knowledge. Her title implies that she will be the goddess who is often sixteen years outdated. Origin of Goddess Shodashi takes place following Shiva burning Kamdev into ashes for disturbing his meditation.

॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी पञ्चरत्न स्तोत्रं ॥

ह्रीङ्काराङ्कित-मन्त्र-राज-निलयं श्रीसर्व-सङ्क्षोभिणी

अकचादिटतोन्नद्धपयशाक्षरवर्गिणीम् ।

यस्याः शक्तिप्ररोहादविरलममृतं विन्दते योगिवृन्दं

The worship of Goddess Lalita is intricately related with the pursuit of both worldly pleasures and spiritual emancipation.

मन्त्रिण्या मेचकाङ्ग्या कुचभरनतया कोलमुख्या च सार्धं

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